रायपुर। सितंबर में गणेश चतुर्थी है, भगवान गणेश विराजमान होंगे। प्रतिमाएं आकार लेने लगी हैं और अब जाकर जिला प्रशासन-नगर निगम कह रहा है कि पांच फीट अधिक ऊंची प्रतिमाएं नहीं बनेंगी। सवाल यह है जो बन चुकी हैं, उनका क्या होगा? उधर मूर्तिकार सवाल उठा रहे हैं कि आज यह दिशा-निर्देश क्यों, पहले बोलते तो पालन भी हो जाता।
अब तो श्रद्धालुओं की मांग और आस्था के अनुरूप मूर्तियों का स्ट्रक्चर खड़ा हो चुका है। समिति संचालकों ने मूर्तियों की न्योछावर दे दी है। फेरबदल की कहीं कोई संभावना नहीं है। 'नईदुनिया" कालीबाड़ी से लेकर रामकुंड, महादेवघाट, माना में बन रही मूर्तियों का जायजा लिया। 15 से 18 फीट तक ऊंची मूर्तियां बन चुकी हैं। अब जितनी ऊंची प्रतिमाएं, उतने बड़े-बड़े पंडाल।
पंडालों को लेकर भी जिम्मेदार विभागों ने समितियों से राय-मशविरा नहीं लिया। आंकड़ों के मुताबिक शहर में बड़ी और मध्यम ऊंचाई की प्रतिमाओं की संख्या एक हजार से अधिक है। छोटी प्रतिमाओं का कोई संख्या नहीं है। संस्थान, जिन्हें करवाना है नियमों-निर्देशों का पालन- जिला प्रशासन, ननि, पर्यावरण संरक्षण मंडल।
क्या होना चाहिए था
मूर्तिकार मई-जून से मूर्तियां बनाने में जुट जाते हैं। अगर उसी वक्त सभी मूर्तिकारों की बैठक ले ली जाती तो संभव था कि बीच का रास्ता निकलता और सहमति बन जाती, मगर यह हो नहीं पाया।
ये समस्याएं आती हैं
निगम की तरफ से कहा गया है कि बड़ी प्रतिमाओं से सबसे ज्यादा समस्या विसर्जन में आती है। प्रदूषण का स्तर
बढ़ता है, विसर्जन कुंड में जगह की कमी हो जाती है। छोटी प्रतिमाओं से यह समस्या आधी से कम हो जाती है।
व्यवस्था में करें मदद
सभी जोन आयुक्त को मुख्यालय से निर्देश जारी हुए हैं कि वे मूर्तियों के निर्माण और पंडालों को लेकर नियमों
का पालन करवाएं। आम लोगों, पंडाल संचालनकर्ताओं से निवेदन है कि वे व्यवस्था बनाने में निगम की मदद करें - एके माल्वे, कार्यपालन अभियंता नगर निगम, जल प्रदाय विभाग
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