लंदन। यूजर का डाटा सुरक्षित नहीं रख पाने के चलते ब्रिटेन के डाटा नियामक ने सोशल मीडिया साइट "फेसबुक" पर पांच लाख पौंड (करीब चार करोड़ 55 लाख रुपये) का जुर्माना लगाने का फैसला किया है। जांच में इस बात का पता चला है कि वर्ष 2016 के यूरोपीय यूनियन के जनमत संग्रह के दौरान फेसबुक में मौजूद यूजर के डाटा का दोनों तरफ से दुरुपयोग किया गया था।
बता दें कि फेसबुक ने ब्रिटिश परामर्शदाता कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका की ओर से लगभग 8.7 करोड़ यूजर का डाटा चोरी किए जाने की बात स्वीकार की थी। इसी कंपनी ने वर्ष 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए चुनाव प्रचार अभियान चलाया था।
हालांकि, कैंब्रिज एनालिटिका ने आरोपों को खारिज कर दिया था। फेसबुक के प्रमुख मार्क जुकरबर्ग ने यूजर का डाटा चोरी होने पर यूरोपियन संसद से क्षमा मांगी थी।
इसके बाद यूरोपियन संसद ने मई में सख्त डाटा- प्रोटेक्शन नियम लागू करने के साथ ही नियामक को डाटा चोरी होने पर किसी भी कंपनी के खिलाफ 20 मिलियन यूरो (एक अरब 61 करोड़ रुपये) या कंपनी के वैश्विक कारोबार के चार प्रतिशत के बराबर आर्थिक दंड लगाने की अनुमति दे दी थी।
भारत में 12 करोड़ है एक यूजर के डाटा चोरी की कीमत-
वर्ष 2017 में एक यूजर के डाटा चोरी की कीमत लगभग 11.9 करोड़ थी। यह वर्ष 2016 के मुकाबले आठ फीसद अधिक है। आइबीएम के लिए अमेरिका स्थित एक संस्थान द्वारा "कास्ट ऑफ यूजर ब्रीच" (यूजर के डाटा चोरी की कीमत) पर आधारित अध्ययन के दौरान यह बात सामने आई है।
गौरतलब है कि अमेरिका और मध्य एशिया में जहां डाटा चोरी की कीमत सबसे अधिक है वहीं ब्राजील और भारत में सबसे कम है। आइबीएम के भारत और दक्षिण एशिया के चीफ ट्रांसफार्मेशन आफिसर विकास अरोड़ा ने कहा कि डाटा चोरी की न सिर्फ संख्या बढ़ी है बल्कि इसके तरीकों में भी बड़ा बदलाव देखने को मिला है। भारत में इसकी स्थिति चिंताजनक है।
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