कोलंबो। श्रीलंका ने इस सप्ताह जल्लादों के लिए विज्ञापन देने शुरू कर दिए हैं। चार दशक के बाद श्री लंका में एक बार फिर से फांसी की सजा को बहाल किया जा रहा है। यह कदम राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना की उस घोषणा के बाद उठाया जा रहा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि वह ड्रग्स की तस्करी से संबंधित अपराधियों को मौत की सजा देंगे। मादक पदार्थ से जुड़े अपराधों से निपटने से संबंधित राष्ट्रपति का यह फैसला फिलीपींस शैली से प्रेरित है।
जेल के अधिकारियों द्वारा दिए गए विज्ञापन में कहा गया है कि इस पद के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवार को 'मानसिक रूप से सशक्त' होना चाहिए और उसका 'नैतिक चरित्र' भी अच्छा होना चाहिए। बताते चलें कि साल 1976 में श्रीलंका में मौत की सजा पर रोक लगा दी गई थी। इसके बाद से जेल में जल्लादों के पद खाली पड़े हैं। फिलहाल दो जल्लादों के लिए नौकरी का विज्ञापन दिया गया है।
इसमें कहा गया है कि सिर्फ श्रीलंका के नागरिक ही इस पद के लिए आवेदन कर सकते हैं। आवेदकों की उम्र 18 से 45 साल के बीच होनी चाहिए। बताते चलें कि सिरिसेना ने पिछले सप्ताह कहा था कि वह अगले दो महीनों में मादक पदार्थों के तस्करों के लिए मौत की सजा बहाल करना चाहते हैं। सिरिसेना के इस कदम की मानवाधिकार समूहों ने भारी आलोचना की है।
मानवाधिकार समूहों ने चेतावनी दी है कि फिलीपींस की सड़कों पर जो क्रूर दृश्य दिखाई देते हैं, वह श्रीलंका में भी वास्तव में आए दिन देखने को मिल सकते हैं। बताते चलें कि हत्या, दुष्कर्म और मादक पदार्थों की तस्करी और वितरण को अभी भी मृत्युदंड की श्रेणी का अपराध माना जाता है। मगर, मौत की सजा के बजाय आजीवन कारावास की सजा दी जाती रही है।
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